डोईवाला
आसीफ हसन की रिपोर्ट
बरसात के मौसम में प्रदेश में कई परियोजनाएं अधर में लटकी हुई है, जिस कारण वहां के लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामाना करना पड़ रहा है । कहीं पुल नहीें है, तो कहीं सड़क ही गायब हो गई है, कहीं कहीं पर तों मरीजों को कई किलोमीटर तक पैदल चलकर हॉस्पिटल तक पहुचना पड़ रहा है ।
ऐसी ही एक परियोजना है पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट सोंग घाटी बांध परियोजना जो आजकल अधर में लटक गई है ,
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सोंग घाटी क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट सोंग घाटी बांध परियोजना अधर में लटकने से ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त किया है। स्थानीय ग्राम वासियों का कहना है कि इस बांध परियोजना से गांव के लोगों में क्षेत्र के विकास और युवाओं को रोजगार की उम्मीद जगी थी। लेकिन लंबे समय से यह बांध परियोजना अधर में लटकी हुई है जिससे इस योजना के धरातल पर उतरने में ग्रामीणों को संदेह होने लगा है।
घुड़साल गांव निवासी सुमित कंडारी ने बताया कि राजधानी के महज़ 25 किमी दूरी पर बसा सौंग घाटी क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए छटपटा रहा है। जहां एक ओर हमारा देश आजादी का अमृत महोत्स्व मना रहा हैं वहीं दूसऱी तरफ इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी 18 वीं सदी वाला जीवन यापन करने को मज़बूर हैं। ग्राम पंचायत घुड़साल गांव के युवाओं ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि क्या हम भारतीय नागरिक नहीं। सरकार हमे सौंग घाटी के तट पर बसे शरणार्थी समझ रही है। जब सरकार से राजधानी से 25 किमी की दूरी पर विकास नहीं हो पा रहा है तो दूरदराज के गांवों तक विकास की किरण कैसे और कब तक पहुंच पाएगी यह चिंतनीय है। जनप्रतिनिधियों के प्रति तीव्र आक्रोश व्यक्त करते हुए युवा अरविन्द कंडारी ने कहा कि कम से कम बुजुर्गों के चेहरे की झुर्रियां तो देख लो। बरसात के समय 3 महीने तक ग्रामीणों द्वारा बनवाया गया कच्चा सडक मार्ग पूर्ण रूप से बाधित रहता है। ग्रामीण नदी के किनारे से फल, सब्जियाँ सिर, पीठ पर लादकर 5 से 10 किमी तक पैदल चलकर बाजार पहुंचाते हैं। क्षेत्र में बीमार , गर्भवती गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य बिगड़ने पर चारपाई, कुर्सी मे उठाकर कई किमी पैदल नदी नालो मे जान जोखिम मे डाल कर रायपुर, देहरादून हॉस्पिटल तक पहुंचाया जाता है। और ऐसी घटनाये हर साल बरसात मे आम बात हो गयी हैं। स्कूलों के अध्यापको को कई किमी पैदल चल कर विद्यालय पहुंचना पड़ता है।

बरसात मे विभिन्न गांवो से छोटे छोटे बच्चों को स्कूल जाने मे भी बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं।
21वी सदी के भारत मे सौंग घाटी क्षेत्र मे आज भी नेटवर्क की समस्या है। तो किस बात का आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। क्षेत्र मे एक छोटा आपातकालीन हॉस्पिटल तक नहीं हैं और न ही बड़े बुजुर्ग व्यक्तियों और महिलाओ के लिए बैंक की कोई उचित सुविधा है। कभी कभी लगता है कि हम धरती के अंतिम छोर मे कहीं बसे हुये हैं जहाँ सरकार की नीतियों का पहुंचना असंभव है। जब भूमि की बात आती हैं तो सरकार कहती हैं ये तो राजस्व की भूमि हैं जबकि इस भूमि को हमारे बुजुर्गों ने खून पसीने से सींचकर उपजाऊ बनाया है।
और उस भूमि पर हमें 50 से 70 सालो से मालिकाना हक भी नहीं मिला। सरकार को क्या पता की गांव कैसे बसाये जाते हैं। इस बार युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर युवाओं को भरोसा था कि क्षेत्र का बेडा पार अवश्य होगा परन्तु कार्य कि घोघा गति को देखते हुये अब युवाओं का क्षेत्रीय विधायक और युवा मुख्यमंत्री से भरोसा ही उठ गया है।
सौंग घाटी क्षेत्र मे सौंग बांध परियोजना का शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत ने ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर किया था। किसी भी क्षेत्र में बांध बनने से वहां कि प्रकृति वातावरण संस्कृति और भावनाओं को कई प्रकार की ठेस पहुंचती हैं। लेकिन स्थानीय जनता खुश थी कि चलो बांध के बहाने गांव तक सड़क आएगी नेटवर्क समस्या का समाधान होगा और मूलभूत सुविधाओं की कमी दूर होगी लेकिन गांव के लोगों का यह सपना अधर में ही रह गया है। कुछ दिन बांध का काम चला। लोगों में आस थी कि बांध बनने से क्षेत्र में कुछ तो विकास होगा लेकिन कुछ दिन बाद काम बंद हो गया। सरकार शासन प्रशासन और सभी लोग फिर भूल गये और ग्रामीणों की विकास की आस धरी की धरी रह गयी। क्षेत्र में प्रतिबंध लगा दिया गया कि कोई भी व्यक्ति डूब क्षेत्र मे भवन निर्माण, दुकान निर्माण और अन्य किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं कर सकता है।
सरकार ने बुजुर्गाे, महिलाओ और युवाओं को बहुत बड़ा धोखा दिया है। बांध क्षेत्र में अब कोई गरीब व्यक्ति न तो भवन निर्माण कर सकता है।
घुड़साळ गांव निवासी अरविन्द कंडारी, सुमन कंडारी, गोविन्द कंडारी, कुलदीप कंडारी, रमन , जयदीप , नरेंद्र, महेश ,अशोक, हरेंद्र, मनोज, आदित्य, खेमराज, मुकेश, जितेंद्र,भरत सिंह, रघुवीर,भीम सिंह, कान्हा कंडारी, विकास, नवीन, मदन, संदीप, गोपी,प्रदीप, राजेश,आदि युवाओं ने सरकार से मांग की है कि क्षेत्र मे जल्दी से जल्दी विकास कार्याे को गति दी जाय अन्यथा युवा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
