प्रदेश में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट को सौंपे जाने के साथ ही उत्तराखंड देश में सबसे पहले यूसीसी लागू करने वाला राज्य बनने के लिए एक और अहम कदम बढ़ा दिया है।
ड्राफ्ट सौंपने के लिए विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष जस्टिस (सेनि) रंजना प्रकाश देसाई और उनकी टीम ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में रिपोर्ट सौंपी। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी लागू करने के लिए जस्टिस देसाई की अध्यक्षता में समिति बनाई थी।



ड्राफ्ट तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री ने समिति का तीन बार कार्यकाल बढ़ाया। इस दौरान समिति ने ऑनलाइन और ऑफलाइन आधार पर जनता से यूसीसी को लेकर सुझाव आमंत्रित किए। विशेषज्ञ समिति ने उप समिति बनाकर उन्हें समाज के विशिष्ट लोगों, समाजसेवियों, धार्मिक नेताओं, संतों और जागरूक नागरिकों के साथ चर्चा की और सुझाव लिए। समिति ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरान किया और वहां खुली बैठकें में लोगों से सुझाव लिए। इस तरह समिति को करीब ढाई लाख सुझाव प्राप्त हुए।
करीब तीस अलग-अलग बैठकों में उसे कई महत्वपूर्ण सुझाव मिले। समिति ने केंद्रीय विधि आयोग के साथ भी यूसीसी पर चर्चा की। इस मैराथन कवायद के बाद समिति ने अपना ड्राफ्ट तैयार किया।
ड्राफ्ट मिलने के बाद सीएम धामी ने खुशी प्रकट करते हुये कहा है कि सरकार ने जो वादा किया था आज वो लगभग पूरा हुआ है, ड्राफ्ट का विधिक परीक्षण करने के बाद 6 फरवरी को विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी के विधेयक को पेश किया जाएगा। सदन से पारित होने के बाद ये यूसीसी का कानून राज्य में लागू हो जाएगा और ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा।
समान नागरिक संहिता के प्रमुख बिंदु
- तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।
- तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा ।
- गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।
- संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा ।
- अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा ।
- सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी ।
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा ।
- प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी ।
- एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा होगी समाप्त।
